कविता

दरारें…!!

घर की चारदीवारी हो या
एहसासों की दीवार…
कुछ समय की अटखेलियां
तो कभी रिश्तों की मार…
धीरे-धीरे ही कमजोर है करता..
स्वार्थी मन रिस्ता रहता…
जीवन के ताने-बाने में…
जब कोई दरार है पड़ता….

नही भरती कभी चाह के भी…
इक बार जो पड़ जाये दरारें….
नही टिका सकती पहले सी मिनारें…
दोस्ती, मोहब्बत, वफ़ा की सांसे
हर रिश्तों में जीवन की बातें…
नफ़रत की इक रेखा खींचती…
सदियों तक दरारें है दिखती….
मन की सुनें न, बस अहंकार कहे..
जीवन के ताने-बाने में
जब कोई दरार है पड़ता….

मन से मन का मेल नही मिलता
ख्वाहिशों के बीच खेल है चलता
ऊंची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी ..सारी राह
विश्वास की जब भी टूटे नाव…
एहसासों से भरा संमदर…
भेद जाये मन को अंदर…
डूब जाये रिश्तों की नईया
टूट जाती है, छल जाती है..
मन से मन को…मन से निकाल
जीवन के ताने-बाने में
जब कोई दरार है पड़ता….

नंदिता दरारें कभी भरती नहीं..
इक लम्बा समय अंतराल..
सदियों तक मन में हो या
जीवन में किसी मोड़ पर…
यादों के साये में..कहीं
दिख जाता है लिपटा
जीवन के ताने-बाने में
जब कोई दरार है पड़ता….!!

#मेरी रुह@

नंदिता

तनूजा नंदिता

नाम...... तनूजा नंदिता लखनऊ ...उत्तर प्रदेश शिक्षा....एम॰ ए० एंव डिप्लोमा होल्डर्स इन आफिस मैनेजमेंट कार्यरत... अकाउंटेंट​ इन प्राइवेट फर्म वर्ष 2002से लेखन में रुचि. ली... कुछ वर्षों तक लेखन से दूर नहीं... फिर फ़ेसबुक पर वर्ष 2013 से नंदिता के नाम से लेखन कार्य कर रही हूँ । मेरे प्रकाशित साझा संग्रह.... अहसास एक पल (सांझा काव्य संग्रह) शब्दों के रंग (सांझा काव्य संग्रह) अनकहे जज्बात (सांझा काव्य संग्रह ) सत्यम प्रभात (सांझा काव्य संग्रह ) शब्दों के कलम (सांझा काव्य संग्रह ) मधुबन (काव्यसंग्रह) तितिक्षा (कहानी संग्रह) काव्यगंगा-1 (काव्यसंग्रह) लोकजंग, शिखर विजय व राजस्थान की जान नामक पत्रिका में समय समय पर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है । मेरा आने वाला स्वयं का एकल काव्य संग्रह... मेरी रुह-अहसास का पंछी प्रकाशन प्रक्रिया में है नई काव्य संग्रह- काव्यगंगा भी प्रकिया में है कहानी संग्रह भी प्रक्रिया में है संपर्क e-mail [email protected] Facebook [email protected]