कविता

विनती

हे ईश्वर है विनती तुम से
करो संहार दूषित सोच का
जिस से फैलता फन
पाप और पीड़ा का ।।
हे ईश्वर है विनती तुम से
तारो दूषित पर्यावरण से
स्वच्छ हो जल स्वच्छ हो हवा
स्वच्छ हो वातावरण घर बाहर
तो बने निर्मल मन।।
हे ईश्वर है विनती तुम से
मुक्त करो जन जन को
पान बीड़ी सिगरेट गुटके से
न फैंलेगे रोग न होंगे इनके निशान
हर सड़क हर दीवार हर इमारत पर
हो रोक थाम कड़ी इनकी
तो बने स्वास्थ्य बेहतर।।
हे ईश्वर है विनती तुम से
बने खुशहाल जन जीवन
खिलें फूल अमन चैन के
महक हो फ़िज़ाओं में
अपनेपन की छल कपट से दूर
हो साफ़ सुन्दर तन और मन
तो रहे कलेश कलह भी दूर सदा।।
हे ईश्वर है विनती तुम से
बस कर दो कुछ ऐसा कमाल
आ जाये जीना फिर से सबकी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी की तरह।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |