कुण्डली/छंद

करवाचौथ (हरिगीतिका छंदमें )

चंदा चमकता है गगन में ,
प्रेम पर बलिहार है ।
करवा लिये बैठी सुहागिन
कर रही मनुहार है ।।

बेंदी सजी माथे चमकती ,
सोलहों सिंगार है ।।
अहिवात उसका हो अचल ,
करती विनय हर बार है ।।।

निर्जल रखा है व्रत मिले ,
दैवी कृपा सौभाग्य हो ।
मन में यही है कामना पति ,
दीर्घआयुष्मान हो ।।

महके लतायें प्रेम की ,
बढ़ता हुआ अनुराग हो।
अहिवात मंगल युक्त हो ,
सुख शांति का ही राग हो ।।

कातिक बदी पूजन करें ,
चंदा सुहाना नारियाँ ।
खिलती रहें सजती रहें ,
घर में सदा फुलवारियाँ ।।

अर्चन करें पूजन करें,
लें हाथ अपने थालियाँ ।
आनन्दिनी सौभाग्ग्यिनी
कल्याण कारी नारियाँ ।।

— डा. नीलिमा मिश्रा

डॉ. नीलिमा मिश्रा

जन्म एवं निवास स्थान इलाहाबाद , केन्द्रीय विद्यालय इलाहाबाद में कार्यरत , शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मध्यकालीन भारत विषय से एम० ए० , राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से पी०एच० डी० । अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में सहभागिता विशेष रूप से १६वां विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकाक २०१५ । विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में लेख गीत गजल कविता नज़्म हाइकु प्रकाशित इसके अलावा ब्लाग लिखना ,गायन में विशेष रुचि