करवाचौथ (हरिगीतिका छंदमें )
चंदा चमकता है गगन में ,
प्रेम पर बलिहार है ।
करवा लिये बैठी सुहागिन
कर रही मनुहार है ।।
बेंदी सजी माथे चमकती ,
सोलहों सिंगार है ।।
अहिवात उसका हो अचल ,
करती विनय हर बार है ।।।
निर्जल रखा है व्रत मिले ,
दैवी कृपा सौभाग्य हो ।
मन में यही है कामना पति ,
दीर्घआयुष्मान हो ।।
महके लतायें प्रेम की ,
बढ़ता हुआ अनुराग हो।
अहिवात मंगल युक्त हो ,
सुख शांति का ही राग हो ।।
कातिक बदी पूजन करें ,
चंदा सुहाना नारियाँ ।
खिलती रहें सजती रहें ,
घर में सदा फुलवारियाँ ।।
अर्चन करें पूजन करें,
लें हाथ अपने थालियाँ ।
आनन्दिनी सौभाग्ग्यिनी
कल्याण कारी नारियाँ ।।
— डा. नीलिमा मिश्रा