लघुकथा

लघुकथा – शुभस्य शीघ्रम्

“क्या सोच रही हो; मनुज के घर वालों से मिला जाये या नहीं ? सच में ! हमें शर्म आती है कि हमारी ही संतान विद्रोही बन कर हमें कड़वे घूँट पीने को पिछले चार सालों से बाध्य कर दी है।”
“क्यों अपने आपको दोष दे रहे हैं मानस भी सहभागी है ,उसका दोष क्या मनुज से कम है ? क्यों भूल रहे हैं ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय’ ।
मानस से मैं बात करना चाही , जानते हैं उसने कहा ; “आये दिन आप दोनों के आपसी झगड़ों एवं घरेलू कलह का परिणाम ही है जो हमने सामान्य इंसानों वाला व्यवहार नहीं अपनाया ।”
समलैंगिक ! सोच कर ही शर्म आती है ! क्यों कब और कैसे मानस की सोच ऐसी हो गई समझ नहीं सके ! “हूँउउउ…तुम सही कह रही हो परंतु ‘अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ , मनुज के घरवालों से मिल कर एक बार बातचीत कर लेते तो शायद कोई आस जगे ।
पति-पत्नी की हालत ऐसी ना थी कि , किसी से बातचीत कर सकें। फिर भी उम्मीद की एक क्षीण आस लिये मनुज के घरवालों से मिलने निकल ही रहे थे कि उनका फोन आ गया।
“हेलो भाई साहब ; मैं मनुज का पिता बोल रहा हूँ । आप लोग ‘पालना’ घर के पास एक होटल है क्या वहाँ इस समय आ सकते हैं ?”
सपत्नीक मानस एवं मनुज के माता-पिता होटल में एक दूसरे से मिलने पहुँचे । कुछ नमकीन के साथ कोल्ड ड्रिंक्स मँगवाया गया। माहौल की बेबसी एवं बेचैनी को कड़वे घूँट सभी पी रहे थे । ऐसी संतान से निःसंतान ही ईश्वर हमें रखते तो वही सही होता । सबकी नज़रें झुकी हुई थी । बातचीत की शुरुआत कैसे की जाये, कोई सोच नहीं पा रहे थे।
आखिर कर चुप्पी टूटी ; “भाई साहब हमलोगों का दुर्भाग्य कि हमें बहु पसंद करने का अवसर हमारे बच्चों ने नहीं दिया । हमारी जिंदगी तो जैसे-तैसे कट जायेगी । आखिर परिवार एवं पारिवारिक सुख क्या होता है , बच्चों ने महसूस तो किया।उनलोगों की सहमति बच्चे गोद लेने पर बनी है।बस इतना ही काफी है ।क्या पता स्त्री एवं परिवार के मायने बच्चों के आने से मनुज एवं मानस समझ जायें। इसी वजह से हमें देर नहीं करनी चाहिए । क्या पोते-पोतियों को पसंद करने में हमारी मदद करेंगे ?”
अप्रत्याशित रूप से बिना सोचे समझे सभी के मुँह से एक साथ निकला…वाह… ‘नेकी और पूछ-पूछ’ शुभस्य शीघ्रम् क्या पता बच्चों की मानसिकता फिर बदल जाए ।
‘अंत भला तो सब भला’ ठहाकों की आवाज में सारी कुंठाएं एवं कलुषित भावनाएं तिरोहित होने लगी ।

— आरती राय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com