गीतिका/ग़ज़ल

मानव की जयकार

मानव की जयकार आज यह तय मानो,

कोरोना की हार आज यह तय मानो ।
धैर्य रखो,घर में रह लो,तो बढ़िया हो,
यह है इक उपहार आज यह तय मानो ।
रखो दूरियां दूजे तन से,मन निर्मल,
रोगमुक्त संसार आज यह तय मानो ।
सड़कें सूनी,गलियां सूनी,खाली हों गलियारे,
यह सब पर उपकार आज यह तय मानो ।
सभी आज जागेंगे तब ही यह होगा,
कोरोना-संहार आज यह तय मानो ।
कहें चिकित्सक वह अपनालो,तो उत्तम,
जीवन से हो प्यार आज यह तय मानो ।
समझदार कहते हैं,घातक कोरोना,
कर दे बंटाधार आज यह तय मानो ।
कोरोना है रोग,जागरुकता मांगे,
पर मानव तलवार आज यह तय मानो ।
घबराने से ना होगा कुछ,संयम रख,
कर लो पैनी धार आज यह तय मानो ।
घर में रहकर,तेज बढ़ाओ,यह हितकर
कोरोना पर वार आज यह तय मानो ।
हफ्ते तीन युं ही गुज़रेंगे,सब्र करो,
फिर सब कुछ गुलज़ार आज यह तय मानो ।
मानोगे ना बात अगर तुम,तो सोचो,
ख़ुद पर होगी मार आज यह तय मानो ।
— प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]