कविता

कोरोना

आओ मिलकर आज हम सभी, सैनिक बन जाएं।
इक्कीस दिन की बात है प्यारे, घर में रह जाएं।।

बात नहीं है इसमें भाई, कुछ घबराने की,
हम सबकी जिम्मेदारी है, देश जिताने की,
डॉक्टर, पुलिस जवानों की, सब बातें अपनाएं।
इक्कीस दिन की बात है प्यारे, घर में रह जाएं।।

साफ-सफाई रोज रखो, “कोरोना” हारेगा,
जागरूक नागरिक बने, वो जीवन पाएगा,
सरकार दे रही हर सुविधा, अफवाह न फैलाएं।
इक्कीस दिन की बात है प्यारे, घर में रह जाएं।।

— राम दीक्षित आभास

राम दीक्षित 'आभास'

राम मिलन दीक्षित 'आभास' , माता- प्रेम लता दीक्षित , पिता- राम प्रकाश दीक्षित , जन्म - 18 अगस्त 1987 , स्थायी निवास - ग्राम-पोस्ट अम्बरपुर, सिधौली, जिला सीतापुर (उ.प्र.) , शिक्षा - स्नातक , पुरस्कार - सी.ए. परीक्षा के लिए गोल्ड मैडल एवं प्रमाण पत्र , प्रकाशित कृति - "अन्तस के बोल" (काव्य संग्रह) , विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन , लेखन विधाएं - छंद , कविता, कहानी , उपन्यास , ग़ज़ल , व्यंग्य , निबन्ध, आलेख , वर्तमान पता- सत्य सदन, 1/118, सेक्टर 1, जानकीपुरम विस्तार , लखनऊ - 226031 Mob. 09919120222 email- [email protected]