बाजारी रहेगी
ये जब तक उनमें बीमारी रहेगी
सियासत की तरफदारी रहेगी
हम उसमें ढूंढते ही सच रहेंगे
वो बातें सिर्फ अखबारी रहेगी
ग़रीबों से कहां का वास्ता है
तुम्हारी बस अदाकारी रहेगी
रहेंगे जब तलक नस्लों के झगड़े
जहां तक हो महामारी रहेगी
दिखाएंगे भला हम क्या हुनर को
अगर हर चीज बाज़ारी रहेगी
नज़र से दूर जिसको कर दिया है
वो सब भी बेटियां प्यारी रहेगी
तुम्हारी सोच चाहे जो करो तुम
हमारी तो वफादारी रहेगी
— डा जियाउर रहमान जाफरी