गीतिका/ग़ज़ल

बाजारी रहेगी

ये जब तक उनमें बीमारी रहेगी
सियासत की तरफदारी रहेगी

हम उसमें ढूंढते ही सच रहेंगे
वो बातें सिर्फ अखबारी रहेगी

ग़रीबों से कहां का वास्ता है
तुम्हारी बस अदाकारी रहेगी

रहेंगे जब तलक नस्लों के झगड़े
जहां तक हो महामारी रहेगी

दिखाएंगे भला हम क्या हुनर को
अगर हर चीज बाज़ारी रहेगी

नज़र से दूर जिसको कर दिया है
वो सब भी बेटियां प्यारी रहेगी

तुम्हारी सोच चाहे जो करो तुम
हमारी तो वफादारी रहेगी

— डा जियाउर रहमान जाफरी

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

जन्म -मुज़फ़रा, बेगूसराय -हिन्दी, अंग्रेजी, शिक्षा शास्त्र में एम ए, बी एड, और परकारिता, हिन्दी से पीएच डी -खुले दरीचे की खुशबू खुशबू छू कर आई है परवीन शाकिर की शायरी चाँद हमारी मुट्ठी में है मैं आपी से नहीं बोलती लड़की तब हंसती है (संपादन ) .......आदि पुस्तकें प्रकाशित -हिन्दी, उर्दू, और मैथिली की पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन -बिहार सरकार का आपदा प्रबंधन लेखन पुरुस्कार प्राप्त -आकाशवाणी और टीवी चैनल्स में नियमित प्रसारण -फिलवक़्त -बिहार सरकार में अध्यापन संपर्क -माफ़ी, अस्थावां, नालंदा, बिहार 8031071 मो- 9934847941, 6205254255