ग़ज़ल
अमीरों का माना कि उसपर असर है।
ग़रीबों प लेकिन बराबर नज़र है।
अमीरों ग़रीबों सभी की ख़बर है।
हर इक आदमी पर बराबर नज़र है।
हिमायत है हर एक तबके की उसको,
कभी ज़ेर था आज लेकीन ज़बर है।
मुहब्बत करे उस की मख़लूक़ से भी,
मुहब्बत ख़ुदा से किसी को अगर है।
नहीं बात नफ़रत की करता है अब वो,
मुहब्बत का लगता है उसपर असर है।
— हमीद कानपुरी