जिंदगी
क्या किया तू ने इरादा जिंदगी,
भाग्य में मेरे बदा क्या जिंदगी।
विश्व में आई करोना मौत बन,
लाकडाउन में गुजारा जिंदगी।
साग सब्जी भात रोटी औ दवा,
डूबते को कब बचाता जिंदगी।
साख मुश्किल से बनाता आदमी,
साख पर बट्टा लगाता जिंदगी।
क्या टिकाऊ हो सका संसार में,
हर किसी ने बस सँवारा जिंदगी।
साथ केवल कर्म का लेखा रहा,
छोड़ खाली हाथ जाता जिंदगी।
मौन है केवल अवध ये सोचकर,
क्या बनाया क्या बिगाड़ा जिंदगी।
— डॉ अवधेश कुमार अवध