गाय
मां सबकी कहलाने वाली,
गाय बड़ी है भोली-भाली,
चाहे जो भी घास-फूस दो,
चुपके-से है खाने वाली.
बछड़ा देख खुशी के मारे,
दूध बहुत-सा देती है,
दूध पिलाकर रोग मिटाती,
बल और बुद्धि देती है.
मां सबकी कहलाने वाली,
गाय बड़ी है भोली-भाली,
चाहे जो भी घास-फूस दो,
चुपके-से है खाने वाली.
बछड़ा देख खुशी के मारे,
दूध बहुत-सा देती है,
दूध पिलाकर रोग मिटाती,
बल और बुद्धि देती है.
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गाय पर आपकी बहुत अच्छी कविता। गाय वस्तुतः कामधेनु होती है। यह मनुष्य को पुरुषार्थी बनाती तथा परोपकारी बनने की प्रेरणा देती है। गाय का जीवन अपने लिये नहीं अतिपु मनुष्यों के लिये है। मनुष्य कितना गिर गया है कि वह अपनी मातृ स्वरूपा गोमाता को मारता, मरवाता व उसका गोमांस खाता है। ईश्वर गोभक्षको तथा गोवध करने वालों को सद्बुद्धि दे। हमें कोरोना महामारी का एक कारण गोहत्या सहित सभी पशुओं की हत्या भी प्रतीत होती है। हमें आधुनिक मनुष्य ज्ञान व विवेक शून्य प्रतीत होता है जो न तो ईश्वर को मानता है और न ही दूसरे प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखता व मानता है। उन पर दया नहीं करता। सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखने व मानने की शिक्षा वेदों में विद्यमान है। इसीलिये हमें वेद संसार के सब ग्रन्थों से अधिक प्रिय एवं हितकर प्रतीत होते हैं। सादर।
प्रिय मनमोहन भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. यह शिशुगीत 1978 में अपने भतीजे के लिए एक पुस्तक शिशु गीत संग्रह लिखी थी, उसमें से है. गाय और वेदों के बारे में आपके विचारों से हम सहमत हैं.
नमस्ते आदरणीय बहिन जी। वेदों के अनुसार हमारी अनेक मातायें हैं। हमारी अपनी जन्मदात्री माता, गो माता, भूमि माता या देश तथा वेद माता आदि। हमें इनकी पूजा इनके संरक्षण व इनको हित पहुंचानें की दृष्टि से करनी चाहिये व हम करते भी हैं। गाय संसार का सबसे उपकारी पशु है। अतः वह हमारी पूजा, आस्था, प्रशंसा तथा स्तुति के योग्य है। आपका आभार एवं धन्यवाद। सादर।
प्रिय मनमोहन भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. गाय और वेदों के बारे में आपके विचारों से हम सहमत हैं. ज्ञानवर्धन के लिए हम आपके अत्यंत आभारी हैं.