हर बार इत्तफाक़ों का सैलाब मेहरबान नहीं होता।
काम ना आ सके जो दूसरों के वह इंसान नहीं होता।
ज़िन्दगी जो बख़्शी है रब ने खुशी से अता फरमाएं,
लाख आये मुसीबतें पर ज़िंदादिल परेशान नहीं होता।
खुद ही के लिए बस चाहे उम्दा वह खुदगर्ज़ कहाता है,
दुनिया में मतलबपरस्तों का कोई ईमान नहीं होता।
बेकार बातों में जो ज़ाया करते वक्त क्या कहें उनकी,
पैरों तले न ज़मी न सर पर ही खुला आसमान होता है।
बुलन्दी पर पहुँचा करते हमेशा अलीम मेहनतकश ही,
इल्म और इकबाल न मिले तो पूरा अरमान नहीं होता।
मुहब्बत की रोशनी जो फैला सके वही काबिल जहाँ में,
ज़माने में हर आशिक़ दिलो जान से कुर्बान नहीं होता।
उम्मीद का दामन थामे क़दम-क़दम चलते रहना जरूरी,
कहे ‘विपुला’ मन्ज़िल को पाना इतना आसान नहीं होता!
— डॉ. अनिता जैन ‘विपुला’