बाल कविताबाल साहित्य

नीली साड़ी

मम्मी जी की नीली साड़ी।

लगती बहुत सजीली साड़ी।

जगह जगह पर मोर सजे हैं।
रंग सुनहरी छोर सजे हैं।
अमिया के बूटों से सज कर,
दिखती बहुत रसीली साड़ी।

कपड़ा उसका रेशम रेशम।
पल्लू देखो भारी भरकम।
अक्सर फिरती मम्मी के संग,
जैसे कोई सहेली साड़ी।

मैं जब घर घर खेला करती।
साड़ी पहन झमेला करती।
ओर दिखे न छोर दिखे न,
लगती बड़ी पहेली साड़ी।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा