हाइकु/सेदोका

पलायन

पलायन  ( सेदोका विधा)
ये मजदूर
रहते थे शहर
कोरोना के आते ही
बेकाम हुए
बैठे बिना काम के
भूखे बच्चे शाम के।
है आटा कम
दाल का डिब्बा खाली
चार पैसे थे पास
आज नहीं हैं
ये कैसे खाएँ रोटी
नमक भी नहीं हैं।
हाँ ! बच्चे रोते
बिलखते रहते
कैसे समझाएंगे
खाना नहीं है
ये जी भी पाएंगे या
भूखे  मर जाएंगे।
बाप वेबश
आज माँ लाचार है
बच्चे ताक रहे हैं
दरवाजे से
बेरोजगार सब
क्या करेंगे अब ।
कल रात को
बेकाम मजदूर
मोल लाया जहर
खिला सबको
दुनिया छोड़ गया
कहानी छोड़ गया।
     डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल[email protected]