लघुकथा

उदाहरण

उदाहरण
माँ, चलो ना अन्दर।आज हम दोनों यहाँ खाना खाएंगे।नहीं, बेटा।तुम मेरे साथ परेशान हो जाओगे,इस बुढ़ापे में।क्या मुझें होटल में खाना शोभा देता है?मुझें तो घर का खाना ही पसन्द है।।इतना खर्चा क्यों कर रहे हों?
माँ कुछ ना बोलों, बस तुम मेरा हाथ कस कर पकड़ लो, गिरोगी नहीं।मुझ पर भरोसा रखों।मैं आपको आराम से अंदर ले जाऊँगा।माँ धीरे- धीरे चल रही थीं।वह तो कभी भी इस होटल में ना आती।उसे बेटे की जिद्द के आगे झुकना ही पड़ा।सभी लोग उसे ही देख रहे थे।वह एक आराम कुर्सी पर बैठ गई।बेटे ने फटाफट खाने का ऑर्डर दे दिया।
माँ काँपते हाथों से खाना खा रही थीं।खाना उनके कपड़ों पर तथा मुँह पर गिर रहा था।सभी उसे नफरत की दृष्टि से देख रहे थे।पर बेटे को किसी की परवाह नहीं थीं।वह माँ का मुँह नैपकिन से लगातार साफ कर रहा था।बेटे ने भी खाना खाया ।माँ उसे कह रही थी।आजकल तुम खाने पर ध्यान नहीं दे रहे हो।जैसे ही वह माँ को लेकर बाहर जाने लगा।एक नवयुवक ने उसे रोक लिया और कहा,आप ने मेरी आँखें खोल दी है।आप अपनी माँ का कितना ख्याल रखते हो?आप हर बेटे के लिए उदाहरण हो।सभी लोग उनकी बातें सुन रहे थे।खड़े होकर तालियाँ बजाने लगे।माँ, अपने बेटे को नम आँखों से देख रही थी। वह मन ही मन कह रही थी, काश हर बेटे को अपने माँ-बाप का प्यार-दुलार याद रहे।
राकेश कुमार तगाला
पानीपत(हरियाणा)
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राकेश कुमार तगाला

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