कविता

तुम मेरे अपने हो

तुम्हीं मुझे क्यों याद आते हो
ख्याल तुम्हारा ही क्यों आता है
शायद तुमसे है कोई दिल का रिश्ता
जो बार बार याद आता है
शख़्स तो बहुत हैं जमाने में
फिर तुम ही क्यों याद आते हो
जब भी होती है तनहाई
अकेले पाकर मुझको
क्यों मेरे ख्यालों में चले आते हो
इतना रस बस गए हो ख्यालों में
तुम्हारे सिवाय
कोई और ख्याल आता ही नहीं
लगता है तुम कोई मेरे अपने हो
हर कोई शख़्स अपना हो जाए
ऐसा सवाल ही पैदा हो नहीं सकता
शख़्स तो बहुत हैं जमाने में
पर तुम ही क्यों याद आते हो
*ब्रजेश*
०८ जून २०२०

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020