राजनीतिलेख

पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान विशुद्ध राजनीतिज्ञों को नहीं मिलनी चाहिए !

भारत की आबादी अब तो 130 करोड़ से ऊपर है, जब आपने प्रधानमंत्री का कार्यभार सँभाले थे, तब देश की आबादी 125 करोड़ थे ! किन्तु मेरा प्रश्न अब भी यथावत है, केंद्र में कोई भी सरकार रही हो, वो प्रतिभाशाली भारतीयों के पक्ष में दिख नहीं रही है!

माननीय प्रधानमंत्री जी भी ‘मन की बात’ में ‘पॉजिटिव इंडिया’ और ‘बेटर इंडिया’ की बात करते हैं, किन्तु प्रथम ‘पद्म सम्मान’ से लेकर क्रमश: केंद्र में कांग्रेस, जनता पार्टी, संयुक्त मोर्चा, संप्रग, राजग व भाजपा की सरकार रही है अथवा है, किन्तु अब भी प्रतिवर्ष दिए जानेवाले ‘पद्म श्री’ सहित पद्म अवार्डों की संख्या कमोबेश वही रही है।

इतनी वृहद आबादी 130 करोड़ और  प्रत्येक वर्ष देश में 130 विशुद्ध भारतीयों (विदेशी और भारतीय मूल को छोड़कर) को भी ‘पद्म श्री’ नहीं मिलते ! यह प्रतिभाशाली भारतीयों का अभाव कहेंगे या हतोत्साहन ! या तो पद्म अवार्ड की संख्या 1,000 से अधिक हो, ताकि प्रतिभाशाली भारतीयों का मूल्यांकन हो सके और जिनमें पैरवी हावी नहीं होनी चाहिए तथा यह चयन सिर्फ सीमित VIP और पदधारक IAS महोदयों द्वारा तय नहीं होनी चाहिए ! पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान विशुद्ध राजनीतिज्ञों को नहीं मिलनी चाहिए !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.