कविता

चेहरे पर चेहरा है

चेहरे पर चेहरा है ,
चेहरे पर चेहरा है
कोई गोरा है, कोई काला है
कोई देखने में भोलाभाला है
किसी ने हंसी से सजाया हैं
किसी ने मेकअप से छुपाया है
कोई दिल से खेलता है
कोई दिल की बात कहता है
चेहरे पर चेहरा है,
चेहरे पर चेहरा है।।
कोई मुस्कुराहटों को ओढे फिरता है
कोई नकाब में छुपा रहता है।
कोई सच कहता दिखता है
कोई झूठ को छिपाये फिरता है
चेहरे पर चेहरा है
चेहरे पर चेहरा है।।
कोई चुप रहकर भी सबकुछ कहता है
कोई कहकर भी चुप रहता है
कोई जानापहचाना सा नज़र आता है
कोई अनजाना भी अपना लगता हैं
चेहरे पर चेहरा है
चेहरे पर चेहरा है
किसी को देखना चाहता मन
किसी की देखकर घबराता मन
किसी को पाना चाहता मन
किसी से भागना चाहता मन
चेहरे पर चेहरा है
चेहरे पर चेहरा है।।
कोई बेगानों में अपना है
कोई अपनों में बेगाना है
कोई हंसकर राज़ छुपाता हैं
कोई सबकुछ कह जाता है
चेहरे पर चेहरा है
चेहरे पर चेहरा है।।
— प्रो. वन्दना जोशी

प्रो. वन्दना जोशी

प्रोफेसर पत्रकारिता अनुभव -10 वर्ष शैक्षणिक अनुभव- 10 वर्ष शैक्षणिक योग्यता- एम.कॉम., एम.ए. एम.सी., एम.एस. डब्ल्यू., एम.फील.,बी.एड., पी.जी.डी. सी.ए.

One thought on “चेहरे पर चेहरा है

  • अनामिका लेखिका

    बहुत सुंदर

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