कविता

गौ की महिमा

हमेशा कोटि देवों का, हर एक अंग वास रखती है,
नयन में नीर किंतु दुख का, अब एहसास रखती है।
दोह कर भेज देते हो ,उसे तुम कत्ल खाने में,
युगो से जो कि जिंदा आप का इतिहास रख ती है।
बनी को मां के आंचल से दधी नीत लूट खाई है,
पुराणों वेद ग्रंथों ने भी इसकी महिमा गाई है।
बहुत भोली है ममता का दया का एक सागर है,
स्वयं भगवान ने आकर यहां पर गौ चराई है।

— दीपिका व्यास

दीपिका व्यास

श्रीनगर कॉलोनी, मेला मैदान, मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश