राजनीति में न गीता, न कुरुक्षेत्र !
राजनीति को लोग घिनौनी कहते हैं,
पर जब कोई ‘राजनीति’ में आता है
तो वो ‘राजनीति’ ही करेगा न !
आज के युग में ‘माँ-बेटे’ का न रहा ,
‘बेटा-बाप’ का न रहा,
‘बहन-भाई’ का न रहा
और ‘भाई-भाई’ का न रहा
लेकिन नेताजी मुलायम रहे सिंह
इन बातों का आदर इसलिए भी कीजिए,
कि ‘सत्ताई युग’ में भी वे
धृतराष्ट्रीय मिथकों को छोड़ते हुए
अपने भाई के साथ रहे ।
महाभारत में भी ऐसा हुआ होता,
तो न गीता रची जाती,
न ही कुरुक्षेत्र में ऊधम मचता !