हकीकत
लिख रहा हूं अपने जीवन का अनुभव
पिछले दिनों जीवन में बहुत था बैभव
भगवान की दया से सब था सही ही
अब तो आपने भी पराए लगते हैं ही
मेरे जीवन की नाव डगमगाने लगा है
मेरे भाग्य में शायद दु:ख लिखा ही है
भाई कब्जा किया घर के किनारे अब
उसको साथ देते हैं मेरे दुश्मन भी सब
समझौते के लिए बुलाया गांव वालों को
सरपंच भी समझौता न कर पाए हम को
बार -बार बिनती मैं करता गया गांव में
न निकला समाधान आज भी दु:खी में
घर में घर वालों से भी बहुत है परेशानी
पत्नी है बाल-बच्चों के साथ अब शयानी
घरवाली को भड़काया है लोगों ने यहां
परेशान हूं बहुत मैं जाऊं तो जाऊं कहां
कुछ समझ में नहीं आता मैं क्या करूं अब
मेरे साथ परमात्मा तो हैं ये समझता हूं अब
सरस्वती माता मेरी मंगलु पिता की संतान
बंटवारा नहीं किए इससे आज मैं परेशान
मंगलू पिता जानिए किया जो बहुत अमंगल
वही है समस्याओं का कारण आज असल
उनका करना अधुरा रहा यही बड़ी परेशानी
भाई मेरा कर रहा है लापरवाही से शैतानी
शंकर जी से है प्रार्थना करें परेशानी अब दूर
दुनियावालों के दूरव्यवहार से मैं हूं चकनाचूर
आशा है केवल अब केवल परमेश्वर गंगाधर से
निराश न करो कल्याण करो अब दुखियारी से
भोजपल्ली जन्म जानिए , पंचायत को लोईंग
जिला – रायगढ़ और थाना-चक्रधरनगर छ.ग.
परेशानी से घिरा मैं अब दया करो हे महाकाल
सच कहता हूं आ गया है अब महा कलिकाल
नीति नहीं अनीति से चलते हैं हम इंसान
बदनाम करते हैं कि कोई है एक शैतान
कमजोर को डराते हैं यहां सब लोग सदा
यही है हमारे गांवों की सबसे बड़ी विपदा
सरकार का नियम तो हैं पर होता लापरवाही
अब बदलाव करें हम दें यही सच की गवाही
कहते हैं कि न्याय सबको मिलना चाहिए
पर होता है कुछ अलग ही सच जानिए
गांवों में कमजोरों को आम है डराना
नियम का केवल मात्र दिखावा करना
सच कहने वाले भी डरते हैं गांवों में
अनुभव लिखा है जो जाना सच में
गांवों के हैं अपने कुछ आदिम नियम
इसे उपयोग करते शातिर जो हैं बेशरम
यह भोजपल्ली की है अब हकीकत
सच लिखना है केवल मेरा निजी मत
युवा भी हैं यहां बहुत दबाव ही सहते
बडे़ उनको पुराने नियमों में ही रखते
सच को स्वीकारें जनता और सरकार
नियमों के बदलाव की है अब दरकार
मैं अब खुद बदलाव की हिम्मत किया हूं
आप से भी बदलाव की आशा किया हूं
गांवों में आवश्यक है बदलाव की आंधी
हम ही बनें अब जल्दी गौतम या गांधी
मजबूरी में लिखा हूं मित्रों आपके प्यार से
आप मत समझना सच जो दिखे सामने से
इतिहास अपने को दोहराता है ये हक़ीक़त
भाग्य सब करवाता है यह रचयिता का मत
सच बोलने बाले सदा दबाए जाते हैं गांवों में
आज भी अधिकार पाना कठिन यहां सच में।