चीन-चान
इन मार्गों द्वारा जहाँ चीन अपना ‘सस्ता-घटिया’ माल सप्लाई करते हुए फायदा उठाना चाहता है, वहीं भारत ने इसका विरोध किया क्योंकि पाक-अधिकृत कश्मीर (जो कि भारत की भूमि है) से गुजरनेवाला ‘सीपीइसी’ OBOR का ही हिस्सा है और यह भारतीय क्षेत्र से होकर गुजर रहा है, यह हमारे लिए चिंता का विषय है ! वैसे तो भारत ने संप्रभुता का हवाला देते हुए सीपीइसी के पाक-अधिकृत कश्मीर से गुजरने पर आपत्ति जताई है, परंतु भारत के विरोध के बावजूद दक्षिण एशियाई देशों ने ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ में शामिल होना स्वीकार किया है।
जहां एक ओर चीन वीटो पावर का इस्तेमाल कर आतंकवादी को बचा रहे हैं, वहीं चीन हमारे पड़ोसी व नंबर 1 दुश्मन पाकिस्तान का कट्टर हिमायती बनकर NSG के लिए रुकावट बन गए हैं । चूंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती है, इसलिये यदि चीन अपना फायदा का प्रयास वैश्विक रूप से खोज रहा है, तो भारत भी भविष्य की ओर ताक रहा है, तब भारत के द्वारा OBOR में शरीक न होना बिल्कुल सही कदम है, कोई कुछ कह ले, परंतु दोस्ती और दुश्मनी साथ-साथ नहीं चल सकती !