6 मोहपाश क्षणिकाएँ
डॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ :-
1.
बेटी-दामाद की खोज
सवर्ण गरीब से लेकर
सवर्ण MP, MLA, IAS, IPS द्वारा
बेटी के लिए
दामाद की खोज
SC, ST, OBC में करें,
तभी जाति कुप्रथा दूर होगी,
समानता कायम होगी !
अन्य जाति में करें
बेटी-दामाद की खोज !
2.
आत्मा नहीं होती !
आत्मा-वात्मा कुछ नहीं होती !
अपना ईमान बेच दो,
जमीर बेच दो
और फिर पाओ,
जुड़ो और खोजो
आत्मा को !
अन्यथा आत्मा-वात्मा कुछ नहीं होती !
3.
श्रेष्ठकर
किसी के प्रति चाहने की
आकुलता होनी चाहिए,
पाने की व्याकुलता नहीं !
यही श्रेष्ठकर है,
श्रेयस्कर है !
4.
आकर्षण
सच में
“आकर्षण”
सबके प्रति
एक समान नहीं होते !
आसमान में भी
पाँव रखने की जगह होती हैं !
5.
पत्थरदिल व्यक्ति
अन्वेषण के साथ
प्रकाशन भी जरूरी है,
पर आग्रह के साथ
दुराग्रह ठीक नहीं !
पत्थर दिल व्यक्ति क्या
मुहब्बत से पिघल सकते हैं ?
हाँ भी, नहीं भी !
6.
चुतड़नेवाली कुर्सी
आरामदायक कुर्सी
खतरनाक भी होती है,
चाहे मुँह जिधर करके बैठो,
पर चूतड़ तो नीचे ही रहती है !
इसतरह से बैठने से
कोई सभ्यता विकसित नहीं होती,
न ही संस्कृति संरक्षित होती है !