ट्रेन पर चिंतन
शहर के बहुचर्चित अध्ययन संस्थानों, यथा- स्टडी ऑफ फिजिक्स एंड केमिस्ट्री एरा, जूलॉजी एंड बॉटनी टेस्ट सीरीज और इंग्लिश पॉइंट में अनुजा को नामांकित करा दी गई थी तथा शहर के ही वीआईपी मोहल्ले के एक संभ्रांत गर्ल्स हॉस्टल में उन्हें शिफ़्ट करा दी गई थी। दो पुरुष अभिभावक को ही वहाँ जाने की अनुमति थी, उनके भी फोटो देने पड़े थे, ताकि आइडेंटिटी कार्ड इशु हो सके ! पापा और मैं दो कुल जमा पुरुष थे। मासिक खर्च देने पापा ही जाते, चाहे सशरीर हो या वाया मनीऑर्डर द्वारा। हाँ, उनके साथ माँ चली जाती थी और वे इसी बहाने अनुजा से भेंट कर लेती थी । हालाँकि छात्रावास के छात्राओं की पहचान भर से किसी महिला को इस गर्ल्स हॉस्टल में आने-जाने की छूट थी, बगैर आई कार्ड के ! मैं दूरभाष से ही अनुजा से यदा-कदा बातें कर लिया करता था, क्योंकि उधर जाने के लिए फुर्सत नहीं मिल पाया था, जो आज मिल ही गया ! …..हाँ, जब-जब ट्रेन हिचकोले से सरसराने लगते हैं !