भाषा-साहित्य

स्वतंत्रता के काव्य-तराने

स्वतंत्रता दिवस के सुअवसर पर सुश्री स्वर्णलता विश्वफूल की कविता ‘वीर शहीद’ तो पढ़िये-

“वतन पे मरनेवालों….
तेरा यही निशाँ होगा,
क़ामयाबी की चाहत का–
तेरा यही अंज़ा होगा।
सर पर क़फ़न बाँधकर चलो,
शहीद तेरा नाम होगा,
मातृभूमि की चाहत का–
वीरों यही परिणाम होगा।
हँसकर लगाना– फाँसी का फँदा
तभी तुझे पुकारेगी ये दुनिया,
अपने-पराए का भेद मिटाकर–
माँ की आँचल का लाज रखयाँ।
बहन की राखी, यूँ न फेंकना
सरहद पर तेरा नाम होगा,
कामयाबी की चादर का–
तेरा यही अंज़ाम होगा !”

कविता ‘कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती’, जो डॉ. हरिवंश राय बच्चन की है, प्रोत्साहित करनेवाली कविता है, यथा-

“नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकारो,
क्या कमी रह गई हममें, देखो औ’ सुधारो।
जबतक सफल न हो, नींद-चैन त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती!”

अब कविता ‘स्वयं युगधर्म का हुँकार हूँ मैं’ में स्व. रामधारी सिंह दिनकर जी कहते हैं-

“दबी-सी आग हूँ भीषण क्षुद्धा की,
दलित का मौन हाहाकार हूँ मैं
सजग संसार, तू निज को संभाले
प्रलय का क्षुब्ध पारावार हूँ मैं
कठिन निर्घोष हूँ भीषण अशनि का
प्रलय गांडीव की टंकार हूँ मैं
सुनूँ क्या सिंधु ! मैं गर्ज़न तुम्हारा
स्वयं युग-धर्म का हुँकार हूँ मैं !”

आज के नेताओं पर चोट मारती कविता ‘सावन का भरम देकर, भादो ने ठगा हमको’ में कवि डॉ. जागेश्वर ज़ख्मी जी ने मार्मिक कहा है-

“नारों ने ठगा हमको,
वादों ने ठगा हमको,
मंत्री ने ठगा हमको,
प्यादों ने ठगा हमको,
सावन का भरम देकर-
भादो ने ठगा हमको !”

कविता ‘मुझमें साहस है, अपना कंधा अड़ा दूंगा’ में स्व. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने स्पष्ट किया है-

“देखो, मैंने कंधे चौड़े कर लिए हैं
मुट्ठियाँ मज़बूत कर ली है
ढलान पर एड़ियाँ जमाकर
खड़ा होना मैंने सीख लिया है
घबराओ मत, मैं अब सूरज को डूबने नहीं दूँगा,
मुझमें साहस हूं, अपना कंधा अड़ा दूँगा !”

अति महत्वपूर्ण कविता ‘सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है’ में
स्व. रामप्रसाद बिस्मिल जी लिखते हैं-

“वो जिस्म भी क्या, जिसमें न हो खून -ए- जुनून,
क्या लड़े तूफां से, जो कश्ती -ए- साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना, बाजू -ए- क़ातिल में है।”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.