बाढ़ लाइव
बिहार के पूर्णिया प्रमंडल में बाढ़ की विभीषिका ! नेपाल-भारत सीमा पर अवस्थित भीमनगर बैराज़ के नेपाल की तरफ पानी बढ़ोत्तरी की अप्रत्याशित – स्थिति (71 घंटे तक लगातार बारिश) से उत्पन्न दुरूह स्थिति से निज़ात पाने को लेकर नेपाल राष्ट्र सरकार द्वारा इस बैराज़ से कई क्यूशेक पानी छोड़ा गया…. नतीज़तन बिहार सरकार और भारत सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के भविष्यवाणियों को धता बताते हुए अचानक ही व रातों-रात पूर्णिया प्रमंडल डूब गया…. सर्वाधिक क्षति किशनगंज और अररिया जिले को हुई है, पूर्णिया और कटिहार जिले की स्थिति धीरे-धीरे खराब हो रही है । अभिशप्त कोसी, महानंदा और परमान नदी के द्वारा व्युत्पन्न संकट धरी रह गयी । माँ गंगा कुछ तो खाली अवश्य है, परंतु ‘आपदा बोलकर थोड़े ही आता है’ कहावत सच हो उठा । अररिया के सहकर्मियों में राजेश सर और रिज़वान साहब से किसी प्रकार के संपर्क नहीं हो सका ! हाँ, सुधांशु सर आज आये थे और घर की चिंता व्यक्त किये । इधर पूर्णिया के अमौर से आस्तिक बाबू और जलालगढ़ के अरविंद भाई ने घरवाले से संपर्क का अनथक प्रयत्न किए, जो कि अद्यतन हो नहीं सका है । आस्तिक बाबू के दोमंजिले में पानी है और उनकी गाय बाढ़ में बह गई है । कल घर जाने का प्रयास किया था, किन्तु रास्ते से लौट आया । सभी रास्ते पर अप्रत्याशित पानी के कारण वे अपने घर तक नहीं पहुँच पाये थे ! कटिहार के कदवा में अपने घर में तौवाब जी फँसे हैं, उनसे भी संपर्क नहीं हुआ जा सका है । उनकी पत्नी और उनके एकसाला संतान से भी वे संपर्क नहीं कर पाए हैं । आज हलीम जी उनकी पत्नी के लिए सब्ज़ी पहुँचा आये हैं, जबकि हलीम जी की अम्मी और भाई तथा परिवार के लोग कटिहार-बारसोई के आबादपुर में घर में फँसे हैं । सुनने में आया है, बारसोई के माननीय सदस्य, बिहार विधान सभा श्री महबूब आलम के घर में भी बाढ़ का पानी अनाधिकृत प्रविष्ट है ! शेष सहकर्मी बहरहाल मूसलाधार बारिश से प्रभावित हैं… परसों कटिहार में बारिश के कारण आशुतोष जी बाइक सहित नाला में गिर गए, बाइक पर ₹13,000 खर्च आई है, आज तो उनकी बाइक हड्डी के कारण इसतरह पंचर हुई कि 2 दिन पहले ही लगाए नए ट्यूब को बदलना पड़ा । परसों ही काश्यप जी बाइक सहित बाँध पर गिर पड़े, तो आशीष बाबू अपने ज़ीने से लुढ़क गए, उनके हवाई चप्पल में ग्रिप नहीं था शायद ! कल या परसों हेड सर भी घर से निकलते ही गिर पड़े थे, बावजूद सभी स्वतंत्रता दिवस हेतु ध्वजारोहण किये… रश्मि मैडम की एंड्रॉयड मोबाईल खराब ही रही, वे उसी में माथा-पच्ची कर रही थी, वहीं अंजना दी गमहीन पायी गई, तो बाढ़ में माँ-बाबू जी के बाढ़ में फँसे होने के कारण राजेश सर बड़े मायूस और उदास थे… किशनगंज के अपने रब्बानी भैया को मैं कैसे भूल सकता हूँ, उनके घर में भी पानी प्रवेश किया, किन्तु दूसरे दिन ही निकल गया, किन्तु गंदे पानी निकलने से चली जाती हैं, उसकी सफ़ाई में वे सपरिवार 2 दिन लगे रहे… और मैं बस्स इस ‘रिपोर्ताज़’ के लेखन में लगा रहा, किन्तु इस त्रासदी पर हम सभी संवेदनशील हैं… संवेदना के साथ-साथ तन, मन, धन से जुटा हूँ । क्या आप भी हैं…?