स्नेहिल आभार नेहा
कई स्थापित शैक्षणिक संस्थानों में अंग्रेजी अध्यापन से लेकर अंततोगत्वा इंटरस्तरीय विद्यालय में शिक्षिका श्रीमती नेहा कुलकर्णी, जो मेरे अनुरागी सहकर्मी भी है और स्वच्छंद विचारों से लबरेज़ हैं- अंग्रेजी में स्नातकोत्तर और शिक्षा स्नातक हैं। फ़िलवक्त एम.एड. व एम.फिल. करने के प्रति औत्सुक्य हैं !
कटिहार, बिहार के एक आदरणीय स्वतंत्रता सेनानी की पौत्री नेहा जी छात्राओं के बीच ख़ासे लोकप्रिय, सदैव मुस्कराती चेहरे चस्पाती यानी बिंदास और सहज हैं। पुस्तकद्वय ‘पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध)’ और ‘लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा)’ को वे अभी पूर्णत: पढ़ तो नहीं पाई हैं, किन्तु ‘अंग्रेजी’ अनुवाद में अवश्य जुट गई हैं।
ध्यातव्य है, वे पर्यटन के शौकीन हैं, अध्यापन से अवकाश पाते ही हिल स्टेशन की यात्रा कर आती हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे सुस्वादिष्ट व्यंजन बनाती हैं और मिल-बाँटकर खाती हैं ! हाँ, खाती कम, खिलाती ज्यादा हैं ! स्नेहिल आभार और हृदयश: सादर धन्यवाद !