राजनीति

विकट असंवैधानिक स्थिति !

RTI से निकला यह तथ्य !
क्या 20 जुलाई 1969 को कुछ घण्टे लिए भारत रहे राष्ट्रपतिविहीन!
चूँकि हर देश की अलग-अलग व्यवस्था है, किन्तु भारत में राष्ट्राध्यक्ष ‘राष्ट्रपति’ होते हैं, तो शासनाध्यक्ष ‘प्रधानमंत्री’।

क्या आप जानते हैं, 20 जुलाई 1969 को कुछ घंटे के लिए भारत नेतृत्वविहीन था, क्योंकि देश के कोई भी कार्य राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से ही चलता है, जबकि उस तिथि को सच में कुछ घंटे के लिए देश में कोई भी राष्ट्रपति नहीं थे!

सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI act) अंतर्गत मेरे द्वारा मांगी गई सूचना के उत्तर में राष्ट्रपति सचिवालय के CPIO ने मुझे दो पत्र (पत्रांक- 1204/आर.टी.आई./09/12-13, दिनांक- 17.10.2012 और पत्रांक- 1794/आर.टी.आई./01/16-17, दिनांक- 14.02. 2017) प्रेषित किए, जिनमें उद्धृत है- “3 मई 1969 को डॉ. जाकिर हुसैन के निधन के बाद, भारत के उपराष्ट्रपति श्री वी. वी. गिरि को 3 मई 1969 को भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद- 65(1) के अनुसरण में भारत का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था । तिथि- 20 जुलाई 1969 को तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति श्री वी. वी. गिरि द्वारा उपराष्ट्रपति के पद से त्याग-पत्र भारत के राष्ट्रपति को संबोधित किया गया था ।”

ज्ञात हो, राष्ट्रपति पद तत्कालीन राष्ट्रपति के निधन के कारण पहले से रिक्त हैं और उपराष्ट्रपति श्री गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त है और उन्होंने भी 20 जुलाई 1969 को त्याग-पत्र दे देते हैं । अब इस तिथि को भारत राष्ट्रपतिविहीन व नेतृत्वविहीन हो गया है, फिर इस समय की स्थिति असंवैधानिक हो जाती है ! इस बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) श्री मोहम्मद हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं, जबकि संविधान में कार्यवाहक राष्ट्रपति सिर्फ उपराष्ट्रपति ही बन सकते हैं, जबकि ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि राष्ट्रपति पद की शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) दिलाते हैं । किंतु मुझे जो सूचना प्राप्त हुई, वह तो पढ़िए- “श्री मोहम्मद हिदायतुल्ला को दिनांक- 20 जुलाई 1969 को श्री न्यायाधीश जे. सी. शाह द्वारा शपथ दिलाई गई । इस सचिवालय के उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, कार्यकारी CJI को कोई शपथ नहीं दिलाई गई । भारत के संविधान के अनुच्छेद- 65 में उल्लिखित के अनुसार, से इतर इस संबंध में अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है।”

अब यह सोचिए, राष्ट्रपति को शपथ तो CJI दिलाएंगे, जबकि श्री जे सी शाह कोई CJI नहीं हैं और वे भी असंवैधानिक रूप से CJI बनकर शपथ दिला रहे हैं। दिनांक 20 जुलाई 1969 को देश के शीर्ष नेतृत्व स्तर से काफी गलतियाँ हुई हैं, जो असंवैधानिक है, क्योंकि उस तिथि को राष्ट्रपति के कुछ घण्टे के लिए नहीं होने से यह और भी असंवैधानिक स्थिति थी, भारत के लिये !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.