गुरु सब धन की खान रे
गुरु से शिक्षा गुरु से दीक्षा, गुरु सब धन की खान रे ।
गुरु जैसा नहिं दूजा कोई, बात हमारी मान रे ।।
गुरु के चरणों में जन्नत है, मुख पर वेद पुरान रे ।
शास्त्र शस्त्र विज्ञान ध्यान सब, गुरुवर की पहचान रे ।।
जो भी गुरु के द्वारे आता, बन जाता विद्वान रे ।
साधारण प्राणी पा जाता, विद्या धन का दान रे ।।
गुरु की महिमा धरती जैसी, जाने सकल जहान रे ।
ज्ञान हेतु हरि गुरु घर आते, जिसने रचा विधान रे ।।
तमस रात्रि में अरुणोदय बन, लाते यही विहान रे ।
कोई कितना भी ऊँचा हो, गुरुवर प्रमुख महान रे ।।
इधर उधर मत भटको बंदे, गुरु से ही कल्यान रे ।
ईश्वर से पहले गुरु पूजें, जै जै कृपा निधान रे।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध