राष्ट्र सर्वोपरि
राष्ट्र से ऊपर कोई भी धर्म या जाति नहीं हैं । राष्ट्र से ऊपर कोई भी धर्म या जाति नहीं हैं । मानव सेवा से भी बढ़कर राष्ट्र की सेवा है।
अगर देश ही नहीं रहेगा, तो हम कहां रह पायेंगे? तब हमारी मानसिकता गुलामी से जकड़ जायेगी ।
इसलिए जरूरी है कि मंदिरों में सुबह की पूजा से पहले, मस्जिद में दिन के प्रथम अजान से पहले और अन्य धर्मों के पूजा-स्थलों में सुबह के प्रार्थना-सत्र से पहले राष्ट्रगान की प्रस्तुति को अनिवार्य कर देना चाहिए।
इस संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए । साथ ही राष्ट्रगान की अनिवार्यता सभी तरह के न्यायालयों में भी कार्यवाही प्रारंभ करने के पूर्व अनिवार्य किया जाना चाहिए।
भारत में ऐसे मन्दिर भी हैं, जहाँ पुरुषों व किशोरों को जाना वर्जित है!
जब सबरीमाला में सभी तरह के सबरियों के प्रवेश की इजाजत मिल गयी, तो क्या माननीय उच्चतम न्यायालय उन मन्दिरों में, जिनमें पुरुषों के प्रवेश की इजाजत नहीं है, को स्वत:संज्ञान लेते हुए उन्हें भी अनुमति देंगे!