नहीं चाहत मुझे कोई, गगन के चाँद तारों की।
नहीं ख्वाहिश मुझे कोई, किन्हीं दिलकश नजारों की।।
तुम ही तुम चाँद हो मेरे, तुम्हीं मेरे सितारे हो।
नहीं चाहत मुझे कोई, किन्हीं रिश्ते हजारों की।
तुम्हारे प्यार से रोशन मेरे दिन रात हैं साजन।
तुम्हारी इक हंसी से ये जीवन गुलजार है साजन।
तुम्हारे पास होने से हंसी दिन-रात हैं साजन।
नहीं चाहत मुझे कोई, मौसमी इन बहारों की।।
नहीं दो दिन का ये बन्धन, जन्म-जन्मों का नाता है ।
निभाएंगे इसे मिलके भले आये कोई संकट।
चलेंगे मिलके हम दोनों रास्तों पे सुनो हमदम।
नहीं चाहत मुझे कोई, किसी के भी सहारों की।।
— सविता वर्मा