अनंत शुभकामनाएं
बधाई
ममता (गुप्ता) दी !
‘रवीन्द्र’ के जाने पर
दुःखों के पहाड़ टूटना,
किन्तु ‘दुःखम – सुखम’ ने
आपको फिर से
ऊर्जस्वित बना डाले !
इस वर्ष
कृष्णा (सोबती)
बड़ीदी के बाद
फिर एक और दी को
साहित्य का बड़ा पुरस्कार !
आपकी कर्मणा को नमन !
….अनंत शुभकामनाएँ !