रो और मांस
जो ‘मांस’ के लिए ‘रो’ पड़े,
उसे ‘रोमांस’ कहते हैं !
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पिरावेट की बात छोड़िये, सरकारी टीवी पर
“ये अंदर की बात है”
कहकर इनका विज्ञापन पब्लिकली क्यों होता है ?
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पर्दा नहीं उठे,
तो डिरिमा कैसे देखेंगे, सरजी ?
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जिसे बोया नहीं जाता है !
‘बथुआ साग’
मिल जाय,
तो जीभ से लार टपकने लगता है !