मैं कलमकार हूँ
कोई भी संस्कृति
एक लंबे समय तक
अक्षुण्ण नहीं रह सकती !
अगर रह गयी,
तो उनमें न चाहकर भी
विसंगतियाँ
आने लग जायेगी !
••••••
मैं कलमकार हूँ,
जिस दिन ना लिखूँ,
उसदिन मैं भोजन नहीं करता !
कलम-स्याही की
नित्य आराधना करता हूँ,
कि कर्म ही पूजा है
सादर नमन !
••••••
इंदिरा शहादत दिवस
‘लौह पुरुष’ के साथ-साथ
‘लौह महिला’ को भी
हम याद रखें,
लाहौर तक विजय
कोई आसाँ नहीं !
सादर नमन !
••••••
बर्थडे के दिन
किसी के घर
निधन होने पर
उसदिन कभी
बर्थडे नहीं मना पाते वो!
यहाँ पीएम की हत्या हुई
और डिप्टी पीएम के बर्थडे
मनाए जा रहे !
••••••
विशुद्ध प्रकृति पूजा है
‘छठ’
संसार में सबसे वृहद
निर्जलोपवास लोकपर्व
सादर नमन !
••••••
यह शायद
इस पोस्ट का
उत्तर नहीं !
एकबार
देख लीजिए !
••••••
अगर ‘पटेल’ काका
जीवित रहते,
तो वे
अपने बर्थडे के दिन हुई
‘इंदु’ बेटी की हत्या के दिन
यानी शहादत दिवस
तो अपना जन्मदिवस
मनाते ही नहीं !
••••••
संसार के संभवत:
एकमात्र पूजा-व्रत,
जिनमें कोई
कर्मकांडी पुरोहित
नहीं होते हैं !
सबसे सुंदरतम
शाकाहार प्रकृति-पर्व को
सादर नमन !
••••••
प्यार तो
अब भी तुमसे है,
आँखों के कोने में
आँसू लिये !
कि अब तो हो गया हूँ
पैंतालीस पार,
और दिलजले के
बुझे हैं दीये!