जीवन संगीत
जरूरी नहीं जो मैं बोलूं वो तू बोले
जो तू बोले वो मैं बोलूं
मेरे स्वर में अपना स्वर मिलाए
तेरे स्वर में मैं अपना स्वर मिलाऊ
तेरा एक व्यक्तित्व है
मेरा भी एक अलग व्यक्तित्व है
दोनों का व्यक्तित्व है जुदा जुदा
कैसे हो दोनों के स्वर में एकरूपता
व्यक्तिव एक दूजे पे रहेगा जब तक हावी
मेरा स्वर न तुझसे मिलेगा
न तेरा स्वर मुझसे मिलेगा
संगीत तभी झरता है
जब सुर से ताल और ताल से सुर मिलता है
जब मेरा व्यक्तिव तुझमें समा जाए
और तेरा मुझमें
दोनों मिल एक हो जाए
सुर और ताल दोनों ही मिल जाएंगे
जीवन संगीतमय हो जाएगा
नर और नारी का जब
एकदुजे में समावेश हो जाएगा
जीवन सत्यम शिवम् सुंदरम हो जाएगा