आदर्श में भिन्नता
आने वाली हर पीढ़ी
बाबा साहब का
अंधानुकरण ही करें
या मान्यवर कांशीराम के
मार्ग पर ही चले !
समाज के विकास की
सतत प्रक्रिया होती है,
इसलिए नए तथ्यों के
आलोक में हमेशा
नई रणनीति के साथ ही
कुछ नया करना पड़ता है।
बाबा साहब ने
महामना ज्योतिबा फुले को
अपना गुरु माना,
लेकिन फुले के
आर्य आक्रमण सिद्धांत को
नकार दिए ।
मान्यवर कांशीराम ने
बाबा साहब को आदर्श बनाया,
लेकिन उनसे हटकर
जातियों के
उच्छेद जैसे दुरूह कार्य को
हाथ नहीं लगाया।