धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सिक्किम का नेवार (प्रधान) समुदाय

नेवार समुदाय मूल रूप से नेपाल के काठमांडू के निवासी थे I नेपाल शब्द के आधार पर नेवार शब्द की उत्पत्ति हुई है I “नेपाल” नाम की व्युत्पत्ति नेपाल के प्रसिद्ध तपस्वी और संरक्षक संत “ने मुनि” से हुआ है जिन्होंने एक धर्मपरायण चरवाहे के पुत्र को राजा के रूप में प्रतिष्ठित किया और इस प्रकार ‘गोपाला’ वंश की शुरुआत की। कुछ विद्वान इस समुदाय का मूल स्थान तिब्बत मानते हैं, लेकिन इनके पक्ष में कोई ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है I सिक्किम में नेवार समुदाय की जनसंख्या बहुत कम है, लेकिन यहाँ की राजनीति और लोकजीवन में येलोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं I यह समुदाय अपनी भाषा, संस्कृति, रीति– रिवाज, परंपरा और धर्म के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं I येलोग नेवार भाषा बोलते हैं I सिक्किम के विद्यालयों में नेवार भाषा पढ़ायी जाती है I सिक्किम सरकार ने नेवार समुदाय को पिछड़े वर्ग में शामिल किया है I नेवार समुदाय के लोग व्यापार करने में कुशल माने जाते हैं I व्यापार इस समुदाय की आजीविका का मुख्य साधन है I ग्रामीण क्षेत्रों के नेवार कृषि, बागवानी और पशुपालन पर निर्भर हैं I येलोग हस्तशिल्प में भी कुशल होते हैं I वाणिज्य– व्यापार और खेती के अतिरिक्त ये बुनाई, बढ़ईगिरी और धातुकर्म भी करते हैं I कुछ अपवादों को छोडकर सिक्किम के सभी नेवार को ‘प्रधान’ कहा जाता है I नेपाल में नेवार समुदाय के अंतर्गत ‘प्रधान’ एक जाति है, परंतु सिक्किम में सभी नेवार को प्रधान संबोधित किया जाता है I नेवार लोग मांसाहारी होते हैं I उनके लिए गोमांस, सूअर का मांस, याक का मांस आदि खाना प्रतिबंधित है I वे भैंस का मांस खाते हैं जबकि अधिकांश पहाड़ी जातियां भैंस का मांस नहीं खाती हैं I इनका मुख्य भोजन चावल है I चावल की कमी होने पर वेलोग गेहूं, मक्का आदि अनाज खाते हैं I वे मूंग, मसूर, चना, मटर आदि दाल खाते हैं I वे खाना बनाने के लिए सरसों के तेल का उपयोग करते हैं I वेलोग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सभी प्रकार के कंद- मूल, सब्जियाँ और फल खाते हैं I नेवार समुदाय के लोग अनेक तरह की मदिरा बनाते हैं और उनका नियमित रूप से सेवन करते हैं I नेवार समुदाय पितृसत्तात्मक है I परिवार में कई पीढियां एक साथ रहती हैं, लेकिन आधुनिकता बोध के प्रवाह में धीरे– धीरे संयुक्त परिवार प्रणाली कम होती जा रही है I पिता की संपत्ति सभी पुत्रों के बीच समान भाग में बाँट दी जाती है I इस समाज में महिलाओं की दशा ठीक नहीं है I महिलाएं खेतों में काम करती हैं, पशुओं की देखभाल करती हैं, जंगल से जलावन की लकड़ियाँ और जल लाती हैं, लेकिन परिवार में उनकी कोई निर्णायक भूमिका नहीं होती है I धर्म की दृष्टि से यह समुदाय हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों का मिश्रण है, फिर भी वेलोग हिंदू के रूप में अपना परिचय देते हैं I वेलोग हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के रीति– रिवाजों का पालन करते हैं I येलोग अनेक पर्व– त्योहार मनाते हैं I कुछ त्योहार सामुदायिक स्तर पर मनाए जाते हैं जबकि कुछ त्योहार व्यक्तिगत स्तर पर मनाए जाते हैं I सामुदायिक स्तर के त्योहार हैं– भैरव जात्रा, गाथे मंगल अथवा घंटा करन जात्रा, गाय जात्रा, वर्ण जात्रा, इंद्र जात्रा, कुमारी जात्रा, मछेन्द्र जात्रा, नारायण जात्रा, गणेश जात्रा, भीमसेन जात्रा, कृष्ण जात्रा I नेवार समुदाय के व्यक्तिगत स्तर पर मनाए जानेवाले त्योहार हैं – गोवर्धन पूजा, महा किजा (भाई टीका), मुखा अष्टमी, हरि बोधनी एकादशी, योमाफ्ही पुन्ही, खिला गाय दशमी (दसईं), मकर संक्रांति, राम नवमी, दिवाली, राखी पूर्णिमा इत्यादि I

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]