नियति
फूल हूं प्रकृति का
मुरझाकर
पत्ता पत्ता होना
प्रकृति है मेरी
मेरी एक मियाद है
खिलूंगा उस मियाद तक
बाद उस मियाद के
धीरे धीरे सूखना शुरू हो होऊंगा
एक दिन डाली से अलग हो
बिखर जाऊंगा जमीं पे
यही मेरी नियति है
फूल हूं प्रकृति का
मुरझाकर
पत्ता पत्ता होना
प्रकृति है मेरी
मेरी एक मियाद है
खिलूंगा उस मियाद तक
बाद उस मियाद के
धीरे धीरे सूखना शुरू हो होऊंगा
एक दिन डाली से अलग हो
बिखर जाऊंगा जमीं पे
यही मेरी नियति है