सामाजिक

देर रात तक ऑनलाइन रहकर क्या औरतें भी कुछ हटके कर रही है

बेशक मोबाइल जैसे छोटे से मशीन ने हमारे कई काम आसान कर दिए पर जैसे हर चीज़ के दो पहलू होते है सही और गलत, वैसे ही इस खिलौने का भी कायदे से इस्तेमाल करो तो फ़ायदे है पर अगर बहक गए तो बेड़ा गर्द है। इस मशीन के भीतर क्या-क्या कांड पनपते रहते है ये भी सब जानते ही होंगे। ये सोश्यल मीडिया जितना उपयोगी है उतना खतरनाक भी है। आज ज़्यादातर 40/50 साल की औरतें सबसे ज़्यादा मोबाइल का उपयोग करती है। चलो समझ सकते है समय बिताने के लिए मोबाइल का उपयोग कोई बुरी बात नहीं, पर किसीने सोचा है कुछ औरतें देर रात तक ऑनलाइन रहकर मोबाइल में करती क्या हैं?
फेसबुक ग्रुप में जोक्स शेयर करना, सेल्फी पोस्ट करना, नई रेसिपी सीखना या फिर गाने सुनना या फ़िल्म देखना ? जी नहीं साहब इस छोटे से खिलौने ने सीमा लाँघ ली है, आज अधिकतर महिलाएं भी मोबाइल में वही करती हैं, जो अधिकतर पुरुष करते हैं। गंदे काम “सेक्स चैट” यहाँ बात महिलाओं को बदनाम करने की नहीं क्यूँकि महिलाओं को बहकाने वालों की यहाँ कमी नहीं। फेंक एकाउंट बनाकर पहले महिलाओं के मैसेंजर पर हाई-हैलो करते है, फिर तारिफ़ों के पुल बाँधकर मीठी-मीठी बातों से फुसलाते है। जो महिला ऐसे साज़िश खोरों को नहीं जानती वो उनकी बातों को सच मानकर जाल में फंस जाती है, प्यार के नाम पर रोमियो जैसे लड़के औरतों को लपेट लेते है। फिर सेक्स चीज़ ही ऐसी आकर्षक है की महिलाएं सामने भले ही ऐसी बातें करने से हिचकिचाती हों, लेकिन मोबाइल स्क्रीन के पीछे 60 प्रतिशत भारतीय औरतें सेक्स चैट और अश्लील जोक्स शेयर करने की शौकीन होती हैं।
आख़िर क्यूँ? वैसे देखा जाए तो हमारे देश में सेक्स नाम सुनते ही सबकी आँखें चौड़ी हो जाती है, इसलिए जब महिलाएं सेक्स और उससे जुड़ी बातें खुलकर करती है तो उसे अश्लील करार दिया जाता है। चरित्रहीन और बदचलन करार दिया जाता है। अपनी यौन इच्छाओं को खुलकर अपने पार्टनर को बताने में आज भी भारतीय महिलाएं शर्माती हैं। यही हिचक उन्हें सेक्स चैट यानी ‘सेक्सिटंग’ करने के लिए उकसाती है।
मोबाइल टेक्नॉलजी ने ही यह काम महिलाओं के लिए आसान बना दिया है। वे अपने लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को सेक्स चैट्स और पॉर्न विडियोज़ के जरिए कायम रखती है। अपने पार्टनर के साथ सेक्स के बारे में चैट करना, डिजिटल डिवाइस से उन्हें अंतरंग फोटो-विडियो भेजना, सेक्स्टिंग कहलाता है। अंतरंग अंगों और क्षणों को प्रदर्शित करते वक्त महिलाओं को सोचना चाहिए अगर सामने वाला आपकी तस्वीरों का दुरुपयोग करता है तो क्या इज्जत रह जाएगी। आख़िर महिलाओं को ऐसा करने की ज़रूरत क्यों पड़ती है ? इसपर मानसिक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी परेशानियों पर मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट प्रकृति पोद्दार अपने रिसर्च में कहती हैं कि हमारे यहाँ खुलकर सेक्स से जुड़े मामलों पर बात नहीं होती, जबकि यह बेहद अहम हिस्सा है। यह ज़रूरी है कि इसपर महिलाओं और पुरुषों के बीच पॉजिटिव तरीके से चर्चा हो। लोग जब अपनी सेक्सुएलटी को लेकर खुलकर बात करते हैं, तो वे अपने लिए बेहतर, स्वस्थ और खुशहाल जीवन की शुरुआत करते हैं। सब चाहते तो है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन बेहद जरूरी है पर जहाँ बड़े ही इस बात पर खुलकर अपने विचार नहीं रख सकते वहाँ बच्चों को क्या सिखाएंगे।
ज़ाहिर सी बात है जिस बात को खुलकर नहीं बोल सकते उसके लिए उत्सुकता बढ़ जाती है।
वैसे ज़िंदगी को इस तरह सुखद बनाने की पहल करने वालों में महिलाएं अब पीछे नहीं हैं। हाल में 191 देशों की लगभग 1.3 लाख महिलाओं पर किए गए शोध में पाया गया कि दुनियाभर में 21 प्रतिशत महिलाएं डेटिंग या दोस्त बनाने के लिए स्मार्टफोन ऐप्स का इस्तेमाल कर रही हैं। दिलचस्प बात यह कि भारत में ऐसा करने वाली महिलाओं का आंकड़ा करीब 19 फ़ीसदी है। इनमें से 62 प्रतिशत सेक्स्टिंग में दिलचस्पी दिखाती हैं।
हैरानी होती है ना महिलाओं में सेक्सटिंग को लेकर बढ़ती दिलचस्पी की बात जानकर। इसकी वजह समझाते हुए प्रकृति कहती हैं, ‘देश की ज़्यादातर महिलाएं सेक्स के बारे में बात करने से कतराती हैं क्योंकि उन्होंने अपने आसपास यही देखा है कि इस तरह की बातों पर चुप्पी बनाई रखी जानी चाहिए  स्मार्टफोन के ज़रिए ऐसी बातें करना उनके लिए आसान है और सेफ भी। तमाम ऐप्स पूरी सेफ्टी के साथ ऐसी सुविधाएं देते हैं कि महिलाएं सेक्सटिंग कर सकें।
जबकि ये मानसिकता और आदत बहुत ही गलत है, कई बार हम साइबर क्राइम के ऐसे किस्से सुनते है जिसमें महिला को फंसा कर ब्लेकमेइल भी करते है। औरतें फेसबुकीया प्यार को सच समझ लेती है और अपनी न्यूड़ तस्वीरें भी ऐसे आवारा लड़कों के साथ शेयर करके फंस जाती है। सोश्यल मीडिया पर जहाँ दोस्त भी सच्चे नहीं होते वहाँ प्यार क्या ख़ाक़ होगा। सिर्फ़ महिलाओं के तन के प्यासे और सेक्स के भूखे भेड़िये बैठे है। महिलाओं को अपने चारित्र और परिवार की इज्जत की परवाह करनी चाहिए नांकि ऐसे मवालियों की बातों में आकर अपनी इज्जत निलाम करते मोबाइल का दुरुपयोग करना चाहिए।
— भावना ठाकर

*भावना ठाकर

बेंगलोर