ग़ज़ल
जाम उल्फत का अपनी पिला दो हमें।
प्यार करते हैं कैसे बता दो हमें।
इक नये अब जहां में बसा दो हमें।
राज़ उल्फत के सारे बता दो हमें।
कह रहे हो जो मुजरिम सज़ा दो हमें।
ज़ुर्म क्या है मगर ये बता दो हमें।
बीच में आज चिलमन गवारा नहीं,
खूबसूरत नज़ारा दिखा दो हमें।
ये ज़माना ज़रा चैन लेने न दे,
कालीकमली में आकर छुपा दो हमें।
होश गुम हो गये हैं तुम्हे देखकर,
अपने दामन की आकर हवा दो हमें।
— हमीद कानपुरी