ऐ काश…
ऐ काश मेरे हिस्से में,
कोई “काश” न होता!
गुलज़ार होती जिंदगी..
दिल बेजार न होता !!
ऐ काश…
गुजरती उम्र के संग,
यह काश बड़ा तड़पता है
बहुत सा “काश”
दिल में “दफन” ही हो जाता है!
समेट लेती मैं,,,
इस दामन में अपने हिस्से का सुख
गर पहना मैंने
संस्कारों का लिबास न होता !!
ऐ काश …