सामाजिक

प्रेमरंग से हृदय रंगो

हमारे तीज त्योहार हमेशा ही हमें आपसी एकता, भाईचारे के संदेश देते आ रहे हैं।आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम भले ही कहाँ से कहाँ पहुंच गये हों,त्योहारों के स्वरूप में थोड़ा परिवर्तन आ गया हो ,परंतु मूल उद्देश्य, भावना, संदेश न बदला है और नहीं कभी बदलेगा।हमारे त्योहार  हमेशा प्रेम का पाठ पढा़ते आये हैं।
रंगों के पर्व होली की भी अपनी विशेषता है।ईश्वर पर भरोसे के साथ ही हमें मन की कटुता को पीछे छोड़ते हुए हमें आपसी प्रेम,सदभाव, भाईचारा,के साथ सभ्यता, शालीनता, मर्यादा के साथ कोरोना को भी ध्यान में रखना होगा। प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करना, अश्लीलता से बचना, किसी के साथ जबरदस्ती से बचना, बुजुर्गों की स्थिति का ख्याल रखकर मर्यादित ढंग से होली की खुशी बाँटना, रिश्तों के नाम पर अश्लीलता से बचना, बिना भेदभाव के त्योहार की महत्ता को महसूस करना ही इस त्यौहार की खूबसूरती को ऊँचाइयाँ देने का सुंदर मार्ग है।ऐसा नहीं है कि त्यौहार की आड़ में हम नशे में डूब जायें।मर्यादा को तार तार कर दें।कटुता और मनमुटाव दूर करने के बजाय दुश्मनी निकालने पर आमादा हो जायें,गहरे और न मिटने वाले घाव का मंसूबा पालने और क्रियान्वयन की कोशिशें करने लग जायें।जहरीले रसायनों, तेजाब, पेंट, तारकोल, नाली के कीचड़/गंदगी का उपयोग बुरा न मानों होली है की आड़ में करने लगें,महिलाओं से अभद्रता, अश्लीलता से पेश आकर उनकी निजता के साथ खिलवाड़ अथवा उनके साथ शारीरिक उड़ंदता जैसा कृत्य त्योहार की आड़ में करने लगें।
होली की सार्थकता को होली पर अबीर, गुलाल और प्रेम के रंगों से सराबोर कीजिए ।छोटों को प्यार दीजिए, बड़ों का आशीर्वाद लीजिए।हमजोलियों से मित्रवत रहकर होली में पकवानों/मिठाइयों का आनंद लेकर सिद्ध कीजिए।प्रेम बाँटिये, प्रेम को ग्रहण कीजिए।प्रेम, सद्भाव, और सज्जनता का उदाहरण पेश कीजिये।
सही मायन में प्रेमरंग की बरसात कीजिए।प्रेमरस की गंगा बहाइये।जन जन के हृदय में प्रेमरंग की बौछारों से अपनी छाप छोड़िए।फिर देखिए हर हृदय प्रेमरस के कुंड में अठखेलियाँ करता दिखेगा/मिलेगा।
कुछ ऐसा सकारात्मक कीजिए कि कोरोना के बीच हो रही होली जन जन को सुरक्षित रखने में सहायक भी हो और हम सबके लिए यादगार भी।
आइए हम सब इस होली पर एक नयी परंपरा की शुरुआत. करते हैं।प्रेमरंग से हर हृदय को सराबोर करते हैं।रंगों के पर्व होली की सार्थकता को नया आयाम देते हैं।फिर देखिए बुरा न मानो होली है की जगह नया स्लोगन हर जुबां पर होगा।प्रेमरंग बरसाने फिर से होली आई है।लेकर खुशियों की सौगात आज फिर होली आई है।
शुभ होली, हम सबकी होली।

*सुधीर श्रीवास्तव

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