ग़ज़ल
चूड़ियां तेरी सदा खन-खन करे
प्रियतमा पासा तू’ अब गर मन करे |
रात दिन भगवान का चिंतन करे
हाथ जोड़े ईश का वंदन करे |
रब इबादत शांति से कर लो सभी
प्रार्थना मन को सदा पावन करे |
बाग़ में दावत जरूरत तो नहीं
गुल खिले हों तो भ्रमर गुंजन करे |
घोषणा करना जरूरी तो नहीं
पूत अच्छा नाम को रौशन करे |
सर्वदा धनवान की सोचो नहीं
दींन को देखो दुखी क्रंदन करे |
सर्वदा कानून का ही राज हो
हर नियम का रहनुमा पालन करे |
रोग संक्रामक है’ इसको रोकना
स्वच्छ भोजन का सभी सेवन करे |
कालीपद ‘प्रसाद’
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