आज सीख वह देता है
आज सीख वह देता है।
आखिर वह मेरा बेटा है।।
उसके जन्म से बाप बना।
खुद को भूला, ताप बना।
होते हुए भी, अभाव दिए,
मजबूत बने, मैं घात बना।
ज्ञान में, उसे लपेटा है।
आखिर वह मेरा बेटा है।।
खेल-खिलोनों से दूर रखा।
वात्सल्य भी, नहीं चखा।
योग्य बनाने के चक्कर में,
बना नहीं, मैं कभी सखा।
एकान्त ने दिया चपेटा है।
आखिर वह मेरा बेटा है।।
वह तकनीक की ओर चला।
जीवन से, वह दूर चला।
मोबाइल ही, है बस साथी,
सम्बन्धों से, वह, दूर चला।
बड़ा हुआ, अब चेता है।
आखिर वह मेरा बेटा है।।
संबंधों का, बंधन तजकर।
रहना नहीं, कहीं तू फंसकर।
उड़ ले, गगन में, जितना चाहे,
जीवन जीना तू बस हँसकर।
समझे न कोई हेटा है।
आखिर वह मेरा बेटा है।।