कविता

अंतिम पुकार

हैलो! अब आ जाओ ।
काँपती आवाज़ से
प्रकम्पित मन,
माँ के रूदन पर
बहलाते स्वर,
बिखरी मनोदशा,
कातर हृदय,
खुद झूठा दे दिलासा
मुझसे बिना मिले
प्रयाण नहीं कर सकती
मेरी अम्मा !
वह करती है मुझे
सबसे ज्यादा प्यार
समय ने छला
मन ने छला
माँ तो नहीं
एक बुत मिला,
सिहर गई, लिपट गई
वह स्नेहिल चुम्बन
आशीर्वाद के हाथ
जम गए, कह गए
पुकारा था तुम्हें,
विदा होने से पहले
पर तुमने खुद को
बहला लिया, फुसला लिया ।
रहूँगी मैं हमेशा तुम्हारे साथ
जब देखोगी आइना
मैं ही आऊँगी
छवि बनकर ।
— अनीता पंडा 

डॉ. अनीता पंडा

सीनियर फैलो, आई.सी.एस.एस.आर., दिल्ली, अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय,शिलांग वरिष्ठ लेखिका एवं कवियत्री। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन मेघालय एवं आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा शिलांग C/O M.K.TECH, SAMSUNG CAFÉ, BAWRI MANSSION DHANKHETI, SHILLONG – 793001  MEGHALAYA [email protected]