सूत कातती बुढ़िया और अन्य
चाँदवाली सूत कातती
बुढ़िया को
अभी भी
‘ईद’ का
इंतज़ार है !
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किसी ने सच कहा है-
जिंदगी उसी के साथ खेलती है,
कि जो अच्छा खिलाड़ी है।
मैदान में हारा इंसान
उठ सकता है,
पर मन से हारे इंसान
कभी उठ नहीं सकता !
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क्यों न सभी धर्मों को
आपस में जोड़कर
एक कॉमन धर्म
‘मानव धर्म’
बनाई जाय ?
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‘मैला आँचल’
आँचलिक उपन्यास कैसे है ?
जबकि उपन्यास में
भाषा व बोली
आँचलिक नहीं है !
अगर अंचल की कहानी से
यह आँचलिक है
तो ‘गोदान’
आँचलिक क्यों नहीं है ?
एक प्रश्न सर !
सादर कृपया।