वोटर दिग्भ्रमित
‘इफ़्तार’ को
पार्टी का रूप देकर
ये राजनीतिज्ञ,
जिन्होंने कभी भी
एक रोज़ा तक नहीं रखा,
सिर्फ ‘वोटर’ को
अपनी तरफ
खींचने की इच्छा लिए
न केवल ‘टोपी’ पहने,
अपितु ख़ास बिरयानी
परोसते रहे !
यह सेवा ‘वोटर’ के लिए
तब प्रहसन हो गया,
जब वोटर को अहसास हुआ
कि उन्हें तो उल्टे
वे राजनीतिज्ञ ही
टोपी पहनाकर चले गए !
पार्टी से आशय
बर्थ डे पार्टी,
कॉकटेल पार्टी सहित
फ़ख़्त आनंद के
आदान-प्रदान लिए
‘पार्टी’ नामार्थ संबोधित है,
जबकि ‘इफ़्तार’ शब्द
धार्मिक पवित्रता लिए है !
पार्टी शब्द को
जुदा करने के लिए
बुद्धिजीवियों को
आगे आना चाहिए !