दु:स्वप्न
रात मेरी सांस रुक रुक चल रही थी
दम घुटा जा रहा था
मेरी भार्या मेरी छाती पर
अड़ी थी
मैं चिल्ला रहा था
हट हट कर रहा था
तभी एक झन्नाटेदार तमाचा गाल पर पड़ा
तमाचे की धमक से
हड़बड़ाहट में
आंख खुल गई
देखा
सब कुछ ठीक था
भार्या किनारे आराम से खराटे भर रही थी
मेरे दोनो हाथ मेरी साथी पे कसे थे
उन्हें हटाने की में कौशिश कर रहा था
सब कुछ ठीक ठाक देख
करवट बदल सो गया