बाल कविता
बच्चे सब मिल खेल रचाए
सब मधुबन भीतर फल खाए
झूला झूले कदम के गाछ
रेशम डोर लगी है डाल
सब मिलजुल कर झूला झूले
रिमझिम बारिश बूंदे बरसे
देख फुहार मन को भाए
बच्चे का खूब मन हर्षाए।
विजया लक्ष्मी
बच्चे सब मिल खेल रचाए
सब मधुबन भीतर फल खाए
झूला झूले कदम के गाछ
रेशम डोर लगी है डाल
सब मिलजुल कर झूला झूले
रिमझिम बारिश बूंदे बरसे
देख फुहार मन को भाए
बच्चे का खूब मन हर्षाए।
विजया लक्ष्मी