निवेदित प्रसंग
निवेदन है
कि जिसने
प्रसव वेदना
झेलकर
और मुझे खूब
रुलाकर,
किन्तु पिता
और परिवार को
मुस्कराने का
अवसर प्रदान की !
कैसी हो
मेरी प्यारी माँ ?
जब बेटी-बेटे
समान है,
तब कई ‘अभियान’
चलने के बाद भी
बेटी-जन्म पर
सिर्फ़ ‘मिठाई’
और बेटे के
जन्म पर’भोज’
या ‘पार्टी’ क्यों ?
लोग शादी करके भी
कहाँ कुछ
उखाड़ पाए हैं ?
शादी करने के बाद
लोगों को
‘रुपये’ के मामले में
‘भ्रष्ट’ होते देखा है !