कविता

धरा के भगवान हैं डाॅक्टर

सफेद कोट में धरा के भगवान कहूँ तो शब्द कम हैं,
इंसानी स्वरूप में जजमान कहूँ तो बात में दम हैं,
अपने ज्ञान से मौत को नतमस्तक करना और मरणशील में जीवन भरना काम हैं इनका,
मौत तो लगती हैं इनके सामने सिर्फ तिनका,
होती हैं गलतियाँ मुझसे,आपसे,हम सबसे और रब से,
फिर भी लगे रहते हैं अपने कर्तव्य पथ पर अनवरत,
लगता हैं जैसे खड़े हो हालातों के सामने विन्ध्यांचल पर्वत,
हम हर दिन डाॅक्टर्स पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं।
ना जाने डाॅक्टर्स बिना अपराध कितना कुछ सहते रहते हैं।
जिंद़गी सबको प्यारी हैं,डाॅक्टर्स के भी परिवार और यारी हैं।
हमें सिर्फ आरोप लगाना हैं आता पर हकीकत से नहीं हमारा कोई नाता,
सफेद कोट के भगवान का सम्मान करो अगर ना कर सको सम्मान तो मत करो अपमान,
ढोंगी बाबाओं के बहकावे में आ कर डाॅक्टर्स को मत करो परेशान,
शहर वीरान गलियां,मौहल्ले सुनसान,
खौफ मौत का हर तरफ ऐसा छाया हैं,
कल जो हमारे लिए डाॅक्टर फोड़ा था,
बिना बात के हमने अस्पताल तोड़ा था,
उसी ने उम्मीद का दीया जलाया हैं।
खुद की परवाह छोड़,अपने स्वजनों को छोड़,
डाॅक्टर्स ने वही किया जो उन्हे आता हैं,
वो न जानें क्यूँ हमें मौत से खींच ही लाता हैं।
गुजारिश हैं जमाने से इस सफेद कोट के भगवान की,
जब कभी बीत जाए कोरोना से ये मौत का सैलाब,
मेरी इस एक बात को आप सब जरूर मान लेना,
आज जो डाॅक्टर भगवाननुमा इंसान हैं,
कल उसे सिर्फ एक इंसान जरूर मान लेना।
सफेद कोट के भगवान को मेरा कोटि-कोटि सादर नमन एवं ह्रदय से समर्पित श्रद्धा सुमन।
— युवराजसिंह

युवराज सिंह

सेक्टर-H, शास्त्रीनगर, जोधपुर, राजस्थान 342003